हम है छत्तीसगढ़िया है सबले बढ़िया

    
छतीसगढ़ राज्य का उत्सव 
      मेरे दादाजी उत्तरप्रदेश रायबरेली शहर के रहने वाले थे और पापा मध्यप्रदेश बैतूल के रहने वाले पर मेरे पापा श्री शरद कोकास अपनी नौकरी के लिए इसी दुर्ग शहर में आ गये मेरा जन्म छतीसगढ़ राज्य के दुर्ग शहर में हुआ यही मैं पली - बढी और इसी छतीसगढ़ से मैंने अपनी सारी शिक्षा प्राप्त की आज 1 नवम्बर है और आज ही के दिन 1 नवम्बर २००० को मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा हमर छतीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी छतीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग होकर एक राज्य बना था इसकी राजधानी रायपुर है 1 नवम्बर २००० से हर साल छतीसगढ़ की स्थापना दिवस की खुशी में राज्योत्सव मनाया जाता है । राज्योत्सव के अवसर पर स्थानीय कलाकार के द्वारा , पारम्परिक लोककला , तबला वादन , भजन, शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति वे देते है इस अवसर पर मेले का भी आयोजन होता है और दर्शको के मन को प्रसन्नता से भर देते है राज्योत्सव के अवसर पर अनेक लोगो को सम्मान किया जाता है हर वर्ष यह राज्योत्सव 1 नवम्बर से 5 नवम्बर तक बहुत  हर्षोउल्लास से प्रतिवर्ष मनाया जाता है ।

    हमर छतीसगढ़ का इतिहास
हमर छत्तीसगढ़ 
      आज भी मुझे याद है नवम्बर की ठंड और सन २००० का वह वर्ष जिस वर्ष मध्यप्रदेश से अलग होकर छतीसगढ़ राज्य बना था सन २००० में 5 th क्लास से 6 th में गई उस वक्त मुझे मेरे पापा ने बताया था आज मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ विघटन के अवसर और छतीसगढ़ के एक अलग राज्य बनने की खुशी में आज के दिन मुख्यमंत्री अजीत जोगी और राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय का शपथ ग्रहण रायपुर में समारोह होने वाला है अपन रायपुर देखने चलेगे मेरे पापा हमे दिखाने ले गए थे । स्कूल में भी हमने सभी टीचर्स , साथ पढ़ने वाले लोगो और पास - पड़ोस के लोगो , मित्रो सभी को छतीसगढ़ के स्थापना दिवस की बधाई दी थी
     छतीसगढ़ के बारे में यह कहा गया है की छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कोशल का एक हिस्सा है और इसका इतिहास पौराणिक काल तक पीछे की ओर चला जाता है। पौराणिक काल का 'कोशल' प्रदेश, कालान्तर में 'उत्तर कोशल' और 'दक्षिण कोशल' नाम से दो भागों में विभक्त हो गया था इसी का 'दक्षिण कोशल' वर्तमान छत्तीसगढ़ कहलाता है।

     छत्तीसगढ़ का पहले नाम दक्षिण कोशल था और इसका इतिहास 4 शताब्दी ईस्वी तक पुराना है। इसका पौराणिक इतिहास रामायण और महाभारत काल तक से जुड़ा है। हैहय राजवंश ने छत्तीसगढ़ पर 14वीं सदी के आसपास लगभग छह सदियों तक राज किया। मध्य युग में चालुक्य साम्राज्य ने खुद को बस्तर में स्थापित किया। अन्नमदेव नाम के पहले चालुक्य शासक थे, जिन्होंने सन् 1320 में बस्तर में राजवंश स्थापित किया। सन् 1741 में मराठों ने हैहय शासकों से यह राजवंश छीन लिया। मराठों ने राज्य जीतने के बाद वर्ष 1745 में रतनपुर घराने के अंतिम वंशज रघुनाथ सिंह जी को क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर किया। आखिरकार सन् 1758 में मराठों ने छत्तीसगढ़ पर विजय हासिल की और बिंबाजी भोंसले को शासक घोषित किया गया। बिंबाजी भोंसले के देहांत के बाद मराठों ने सूबा प्रणाली का पालन करना शुरु कर दिया। यह वो दौर था जब सब तरफ अशांति और कुशासन था। मराठा सेना ने तब बड़े पैमाने पर लूट पाट की थी। 
      कलचुरी शासको ने सबसे अधिक वर्ष ८७५ ई. से १७४१ ई. तक शासन किया। १७४१ ई. से १८५४ ई. तक मराठा शासन था "छत्तीसगढ़" मराठा साम्राज्य के समय के दौरान लोकप्रिय था और सबसे पहले आधिकारिक दस्तावेज में छत्तीसगढ़ शब्द का इस्तेमाल १७९५ ई. में किया गया था। १८५४ ई. से अंग्रेजो का शासन एवं राजधानी रायपुर बनाया गया । १९०५ में संभलपुर बंगाल में चला गया और सुरगुजा छत्तीसगढ़ का हिस्सा बन गया। १ नवम्बर २००० ई. में मध्यप्रदेश से विभाजित होकर छत्तीसगढ़ भारत का २६ वाँ राज्य बना।
     इतिहास में इसके प्राचीनतम उल्लेख सन 639 ई० में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्मवेनसांग के यात्रा विवरण में मिलते हैं। उनकी यात्रा विवरण में लिखा है कि दक्षिण-कौसल की राजधानी सिरपुर थी। बौद्ध धर्म की महायान शाखा के संस्थापक बोधिसत्व नागार्जुन का आश्रम सिरपुर (श्रीपुर) में ही था। इस समय छत्तीसगढ़ पर सातवाहन वंश की एक शाखा का शासन था। महाकवि कालिदास का जन्म भी छत्तीसगढ़ में हुआ माना जाता है। प्राचीन काल में दक्षिण-कौसल के नाम से प्रसिद्ध इस प्रदेश में मौर्यों, सातवाहनों, वकाटकों, गुप्तों, राजर्षितुल्य कुल, शरभपुरीय वंशों, सोमवंशियों, नल वंशियों, कलचुरियों का शासन था। छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय राजवंशो का शासन भी कई जगहों पर मौजूद था। क्षेत्रिय राजवंशों में प्रमुख थे: बस्तर के नल और नाग वंश, कांकेर के सोमवंशी और कवर्धा के फणि-नाग वंशी। बिलासपुर जिले के पास स्थित कवर्धा रियासत में चौरा नाम का एक मंदिर है जिसे लोग मंडवा-महल भी कहा जाता है। इस मंदिर में सन् 1349 ई. का एक शिलालेख है जिसमें नाग वंश के राजाओं की वंशावली दी गयी है। नाग वंश के राजा रामचन्द्र ने यह लेख खुदवाया था। इस वंश के प्रथम राजा अहिराज कहे जाते हैं। भोरमदेव के क्षेत्र पर इस नागवंश का राजत्व 14 वीं सदी तक कायम रहा।   
       छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्र 135,191 वर्ग किमी है जो कि मध्य प्रदेश का सिर्फ 30 प्रतिशत है। इस नए राज्य की मांग सन् 1924 में रायपुर जिला कांग्रेस की बैठक से उठी थी, जहां अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनाने का विचार रखा गया था। इस बैठक में आए नेताओं का विचार था कि छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रुप से मध्य प्रदेश से बहुत अलग है। छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर में है और इसका उच्च न्यायलय बिलासपुर में है
      जब हमर छतीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था उस समय इस राज्य के केवल 16 ही जिले थे बाद में 2 नए जिलों नारायणपुर और बीजापुर की घोषणा की गई थी उसके बाद 25 अगस्त २०११ को मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने 9 और नए जिलो की घोषणा की और ये 9 जिले 1 जनवरी २०१२ से अपने अस्तित्व में आ गये ।
   छतीसगढ़ के जिले
छतीसगढ़ के 27 जिले 
 छतीसगढ़ के इन सभी जिलों को आज हमारे छतीसगढ़ के नक्शे में जगह मिल गई है आज इस तरह अब छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले हैं।
बस्तर
बिलासपुर
दंतेवाड़ा
धमतरी
कबीरधाम
कांकेर जिला (उत्तर बस्तर)
कोरिया
महासमुंद
रायगढ़  
सरगुजा


            हमर छतीसगढ़ के स्थापना दिवस के खुशी में अब्बड़ बधाई 

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